बीते लम्हे तो करेंगे यादों की मेजबानी
क्या यादें चाहेंगी इनकी ये पेशगी ?
न जानता ये तो कोई ।लेकिन हाँ इतना है पता जरूर
लम्हा तो है बेहया ,है तो वक़्त का ही गुलाम
देखो ये लम्हा ही तो है जो दिलाये
वक़्त को उसकी रफ़्तार का गुरूर
लेकिन हाँ यह भी तो सच है ……
की लम्हा बदलते लगती नहीं कोई देर
हाँ पर यादों का कुछ नहीं कर सकता ये उलटफेर
वोह तो सिर्फ दीखते है और दिखाते हैं
उन बीते दिनों का मंज़र
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